‘सूर्यदत्त’ द्वारा आचार्य परम आलय को ‘द सेंट ऑफ मॉडर्न इंडिया-2023’ पुरस्कार प्रदान
स्वस्थ और आनंदपूर्ण जीवन के लिए शरीर, मन और चेतना का विकास जरुरी- आचार्य परम आलय जी
पुणे: “शरीर और मन की शक्ति को सदैव जागरूक रखने के लिए साधना महत्वपूर्ण है। संतुलित आहार, उचित व्यायाम और ध्यान, अपनी भौतिक संपदा की रक्षा करते हुए मन और मस्तिष्क का विकास करें, तो स्वस्थ और सुखी जीवन का मार्ग पाया जा सकता है।” इससे हमारा जीवन अधिक सुंदर बनाता है। हमारे जीने का असली उद्देश्य क्या है? इसका पता हमें लगाना चाहिए,” ऐसा प्रतिपादन पूज्य आचार्य परम आलय जी ने किया।
सन टू ह्यूमेन फाउंडेशन की ओर से वर्धमान सांस्कृतिक भवन में छह दिवसीय ‘नए दृष्टीकोन वाला शिबीर’ का आयोजन किया गया था। इस शिविर में हजारों पुणेवासियों ने भाग लेते हुए गुरुजी के मार्गदर्शन से लाभ उठाया। इस शिविर के समापन पर सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से पूज्य परम आलय जी को ‘द सेंट ऑफ मॉडर्न इंडिया-2023’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्राचीन संस्कृति और आधुनिक विज्ञान के संयोजन से सामाजिक परिवर्तन, मन की शक्ति के प्रसार में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया और उपाध्यक्ष सुषमा चोरडिया ने परम आलय गुरुजी को सम्मानीत करते हुए उनका आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर मां मैत्रेयी, उद्यमी राजकुमार सांकला, रमेश गांधी, साधक तारिणी दीदी सहित अन्य उपस्थित थे।
परम आलय जी ने कहा, “सूर्यकिरणें, पृथ्वी की परिक्रमा, सौर मंडल में होने वाले विभिन्न परिवर्तन हमारे जीवन को दिशा और ऊर्जा देते हैं। हमें अपने नाश्ते और भोजन में आत्म-अनुशासन रखना चाहिए। हम बच्चों को बचपन से ही सांसारिक सुखों के बारे में सिखाते हैं और अकुट धन संपत्ति जमा करते हैं. यह इच्छा क्यों, यह प्रश्न हमें स्वयं से करना चाहिए। सुविधा और साधना के बीच का अंतर हमें समझना चाहिए। मन और मस्तिष्क के बीच संबंध विकसित करने पर जोर दिया जाना चाहिए। उसके लिए साधना करना आवश्यक है। तनाव, दबाव, चिड़चिड़ापन, भय , कामेच्छा, क्रोध, शारीरिक रोग, तंद्रा, विचार व्यस्तता इससे दूर रहने के लिए साधना उपयोगी होती है।”
मां मैत्रेयी ने कहा, “भगवान कृष्ण, ऋषि पतंजलि ने जीवन का मूल सूत्र दिया है।लेकिन, हम भौतिक सुखों का पीछा करने के कारण जीवन के मूल उद्देश्य को भूल गए हैं। हम केवल पैसे कमाने के पीछे पडे है और अपनी भौतिक संपत्ति को भूल गए हैं। हम सांसारिक जीवन में इतने डूब गये है की हमारे पास खुद के लिए जीने का समय नहीं है। बदलती और गलत जीवनशैली के कारण देहुरूपी संपत्ती कई बीमारियों, व्याधि और समस्याओं से घिरी है। इनसे छुटकारा पाकर रोग मुक्त, खुशहाल जीवन जीने के लिए खुद के लिए समय देने के साथ साथ ऊर्जावान आहार लेने की आवश्यकता है।”
प्रो डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “जीवन को एक अलग नजरिए से देखने की दृष्टि परम आलयजी ने मुझे दी है। जब से मैं उनके शिविर में शामिल हुआ हूं, तब से मैं अपने शारीरिक और मानसिक स्थिति में भारी बदलाव देख रहा हूं। ‘सूर्यदत्त’ इस साल अपनी रजत जयंती मना रहा है। पिछले 25 वर्षों में ‘सूर्यदत्त’ ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, सकारात्मक जीवन की शिक्षा दी है। इस शिविर से विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के साथ-साथ जीवन मूल्यों, परिवर्तन की शिक्षा देने की दिशा मिली है। भविष्य में छात्रों का समय बर्बाद किए बिना उन्हें उनके आत्म-जागरूकता करते हुए, उनके शरीर और दिमाग को बेहतर तरीके से विकसित करने हेतु विभिन्न प्रकार के सत्र आयोजित किए जाएंगे।”
“गुरुजी का मार्गदर्शन कोई व्याख्यान नहीं है, बल्कि एक प्रयोग-सिद्ध विचार है। व्यावहारिक मार्ग में शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए, यह सिख इस शिविर में सिखने को मिली। आवासीय शिविर में स्वयं भाग लूँगा और दूसरों को भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करूँगा। सत्र के बाद दिया जाने वाला सरल स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता शरीर को आवश्यक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा आदि प्रदान करता हैं। प्रेमपूर्ण और आनंदमय वातावरण में आयोजित इस शिविर से जीवन को सकारात्मक ऊर्जा मिली है। साथ ही छात्रों के निर्माण करते समय क्या करना चाहिए, इसका भी मार्ग पता चला। इसके लिए हमने सन टू ह्यूमेन फाउंडेशन के साथ समझौता किया है। 50 बच्चों को लेकर हम गुरुजी के आश्रम में आवासीय शिविर के लिए जाएंगे,” इसका भी उल्लेख प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडीया ने किया।-
—अब तक के ‘द सेंट ऑफ मॉडर्न इंडिया-2023’इससे पहले ‘द सेंट ऑफ मॉडर्न इंडिया-2023’ यह पुरस्कार राजयोगिनी दीदी जानकीजी, राजयोगिनी दीदी हरिदया मोहिनीजी, स्वामी दयानंद सरस्वतीजी, परमपूज्य श्री ऋषिप्रभाकर गुरुजी, योगगुरु डॉ. बीकेएस अयंगर, आचार्य डाॅ. लोकेश मुनिजी, सद्गुरु जगदीश वासुदेवजी, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकरजी, योगगुरु बाबा रामदेव, पूज्य गुरुदेव श्री राकेश भाई, गुरुदेव श्री नयपरमसागरजी महाराज, ब्रह्मर्षि गुरुवानंद स्वामीजी, सुधांशु महाराज जी, परम पूज्य डॉ. विष्णु महाराज पारनेरकरजी, स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी, पूज्य आचार्य चंदना जी माँ, आचार्य स्वामी श्री शिव मुनिजी, सुन्दरलाल बहुगुणा, डाॅ. मोहन धारियाजी, मधु पंडित दासजी, बाबा आमटे, शिव शाहिर बाबासाहेब पुरंदरे, डॉ. सत्यवृत शास्त्री, गुरुजी ज्ञानवत्सल स्वामीजी को इस पुरस्कार प्रदान किया गया है।